भारत में चुनावी चर्चा जारी ही रहती है। सालों-साल से इस चुनावी-लीला का लोग आनंद उठाते रहते हैं। कुछ महीने पहले ही लोकसभा का चुनाव संपन्न हुआ और उसके बाद दो प्रांतों हरियाणा और जम्मू कश्मीर के भी चुनाव हुए। अभी फिर दो प्रांतों के चुनाव हमारे सामने हैं। आरोप-प्रत्यारोप,बयान और बगावत की खबरें हमें सियासत में उत्सुक बनाये रखती हैं। काटो मारो के बयान का दाना तूफ़ान छाया हुआ है। वैसे इस महीने तक यही सब चलेगा। इस बीच भाजपा के बंटेंगे तो कटेंगे’ की ख़बरें थोड़ी ढीली हो रही थी। ऐसी खबरें थोड़ा आस्वाद भी पैदा करने लगी थी। इसी बीच इस ‘डांस ऑफ़ डेमोक्रेसी’ में एक आइटम के रूप में ट्रम्प परदे पर आये।
ट्रम्प की जीत से भारत कुछ ज्यादा ही खुश है। चुनाव अमेरिका में और खुशियां भारत में? ट्रम्प की जीत से भाजपा गदगद है। खुशियों का कोई ठिकाना नहीं है। मीम की बाढ़ आयी हुई है। ट्रम्प का चेहरा ऐसे सामने आ रहा है मानो वह बजरंग दल का अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हों? हिन्दू नवजागरण का यह नया ट्रम्प-कार्ड है। अब मियां लोग ज्यादा फचर-फचर नहीं करेंगे। कथित हिंदूवादी नेता की बस एक ही मंशा दिखती है कि बस ट्रम्प मियां टोली को ठिकाना लगा दें? खासकर बांग्लादेश और पाकिस्तान कम से कम भीखमंगा हो ही जाय। भारत के सामने ट्रम्प की मदद से पाकिस्तान गिड़गिड़ाता नजर आये, ऐसी कल्पना में हिंदूवीर सब व्यस्त और मस्त हैं। मुल्क के इस मस्ती का राज क्या है ? ट्रम्प 78 साल में दोबारा राष्ट्रपति बन गए। 2029 में मोदी की उम्र भी 78 की हो जाएगी। जीवन के चौथे पन में मोदीजी चौथी पारी का आगाज करेंगें ऐसी संभावना बंटी दिख रही है। यानी 2029 में जो लोकसभा के चुनाव होंगें मोदी फिर प्रधानमंत्री के उम्मीदवार होंगे। मोदी का मैजिक अभी ख़त्म नहीं हुआ है। मोदीजी अब 75 के होने जा रहे हैं, पर आज भी प्रेमी इनके पचहत्तर हैं। जब देश का संविधान बदला जा सकता है तो भाजपा का संविधान क्यों नहीं बदला जा सकता है? फिलहाल इनके मार्गदर्शक मंडल में भेजे जाने की खबर निराधार है। अभी एक पारी खेलने की और तैयारी है? पर इस खबर के पीछे और क्या चल रहा है यह समझना जरूरी है। अगर दस साल भाजपा और देश को खींच ले गयी तो राहुल तब तक उम्रदराज हो जाएंगे। राहुल के युवा होने की खबर भाजपा को परेशान नहीं करेगी। राहुल तब तक युवा नहीं वरिष्ठ नागरिक हो जाएंगे। भाजपा, राहुल को कनिष्ठ नहीं, वरिष्ठ बनाना चाहती है। ‘एक टर्म और’ यह एक मनोवैज्ञानिक-युद्ध है जो कांग्रेस को हताश करने के लिए शुरू किया गया है! प्रश्न हिंदुत्व जिसे हिंदुत्व का नवजागरण कहा जा रहा है, तेजी से अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है। अगर ऐसा ही होता रहा तो भाजपा की वैशाखी क्या करेगी? अगर नीतीश और नायडू ने समर्थन वापस नहीं लिया तो फिर इनका भविष्य तो कहीं नहीं है। इस स्थिति में नीतीश लालू के पास जाए या नहीं जाय पर समर्थन वापस लेने को मजबूर होंगे। फिर तब क्या होगा? क्या सरकार गिर जाएगी? शायद नहीं। तबतक मोदी ममता दीदी से राखी बंधवा रहे होंगे? कुछ खिचड़ी अवश्य पक रही है। नीतीश अलग हों पर लालू के साथ न हों। भाजपा का भविष्य बिहार में त्रिकोणात्मक संघर्ष में ही सुरक्षित है। भाजपा शायद इस बार अपने कंधे से पालकी उतारने के मूड में है। यही कुछ खेल उत्तर प्रदेश में होगा। कुछ महीने ही लोकसभा के चुनाव के हुए हैं पर अभी से ही अगले चुनाव की तैयारी शुरू हो गयी है।
ट्रम्प को अभी भारत की जरुरत है। दुनिया के बाजार में अमेरिका पिछड़ता जा रहा है। भारत इनके लिए बड़ा उपभोक्ता बाजार देगा। ट्रम्प अपना मार्केट देख रहा है और भारत केवल मुसलमान देख रहा है? खैर, ट्रम्प भाजपा का आदर्श हो सकता है पर भारत का आदर्श नहीं हो सकता है? भारत लिंकन के करीब है। घृणा और भेद भाव हमारे चिंतन का आधार नहीं हो सकता। ट्रम्प इसी चरित्र के नायक हैं। जिन खोजा तीन पाईयाँ … आप जैसा हैं वैसा ही आदर्श आप खड़ा करेंगें। भारत ताकत नहीं त्याग करता है। भारत सृष्टिबोध का नायक है, सत्ता बोध का नहीं। सत्य को सत्य कहने की हिम्मत केवल भारत के पास है। शायद यह भाजपा के पास होता तो और भी अच्छा होता।
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