युवा पीढ़ी को बर्बाद करने की साजिश
पूंजीपति वर्ग युवा पीढ़ी को बर्बाद करने की साजिश कर रही है
ब्रह्मानंद ठाकुर
आजादी आंदोलन के दौरान इस देश के असंख्य छात्र- युवाओं ने अपने व्यक्तिगत जीवन और परिवार की सुख-सुविधाओं की परवाह न करते हुए स्वाधीनता संग्राम में खुद को समर्पित कर दिया था। पढ़ाई-लिखाई छोड़ी, नौकरी को ठुकराया, साम्राज्यवादी शासन की लाठी-गोलियों का सामना किया। जेल गये और अनेकों ने अपनी शहादत दी। बड़ी कुर्बानियों के बाद देश को आजादी मिली और पूंजीपति वर्ग सत्ता पर काबिज हुआ। आज यही पूंजीपति वर्ग और उसके संरक्षक सत्ताधीश युवा पीढ़ी को अतीत के उन्नत आदर्शों से विमुख कर रहा है। छोटे-छोटे बच्चों से लेकर किशोर वय युवाओं को अपसंस्कृति के जाल में बुरी तरह से फंसाया जा चुका है। उनमें जुआ खेलने, नशाखोरी करने, महिलाओं की देह को लेकर अश्लील फब्तियां कसने, की आदत डाली जा रही है। रही-सही कसर साइबर नेटवर्क और सोशल मीडिया द्वारा अश्लील और गंदे वीडियो के माध्यम से पूरा किया जा रहा है। नतीजा सामने है, छोटी-छोटी बच्चियों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं से बलात्कार की घटनाएं लगातार घट रही हैं। पिता के खिलाफ बेटी और शिक्षक के खिलाफ छात्राएं बलात्कार और छेड़छाड़ की आरोप लगा रही हैं। स्थिति यहां तक पहुंच चुंकि है कि सम्पत्ति हथियाने के लिए बेटे अपने बूढ़े मां-बाप की हत्या तक कर दे रहे हैं। उनकी सेवा करने के बजाए वृद्धाश्रम पहुंचा रहे हैं। परिवार में कहीं भी आपसी प्यार और सद्भाव नजर नहीं आ रहा है। पूंजीपति वर्ग देश की युवा पीढ़ी को नैतिक और सांस्कृतिक रूप से अवनति के गर्त में इसलिए धकेल रहे हैं कि उनके अंदर का विवेक, इंसानियत और मानवीय गुण पूरी तरह नष्ट हो जाएं ताकि उन्हें आसानी से खरीद कर अपने वर्गहित में उनका उपयोग किया जा सके। ऐसे ही दिग्भ्रमित युवाओं को पैसे, शराब और मौज-मस्ती का साधन उपलब्ध कराकर राजनीतिक दल चुनाव में उनका उपयोग करते हैं। ऐसा करते हुए शासक वर्ग की यही कोशिश रहती है कि देश की युवा पीढ़ी नेताजी सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुकदेव, राजा राममोहन राय, विवेकानंद, ईश्वर चंद्र विद्यासागर जैसे महापुरुषों के जीवन और चरित्र से कोई प्रेरणा नहीं ले सके। शासक वर्ग की यही कोशिश रहती है कि युवा पीढ़ी इन महापुरुषों को भूल जाएं ताकि वे मानवीय गुणों से वंचित हो जाएं। तब शासक पूंजीपति वर्ग को इनसे कोई खतरा नहीं रहेगा और आम जनता पर उनके शोषण -उत्पीडन का चक्र बेरोक- टोक चालू रहेगा। समाज में व्याप्त इन विकृतियों को दूर करने की जिम्मेवारी युवा पीढ़ी की है। यह तभी सम्भव होगा जब देश की युवा पीढ़ी अपने महापुरुषों से प्रेरणा लेते हुए उन्नत नीति- नैतिकता और मानवीय मूल्यबोध से लैस होकर पूंजीवादी व्यवस्था को जड़मूल से मिटाने में कामयाब होगी।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)