यह मुफ्त की रेबड़ी नहीं, जनता का वाजिब हक है
मूलभूत सुविधाएं मुफ्त की रेवड़ियां नहीं है
ब्रह्मानंद ठाकुर
चुनाव के दौरान आम जनता को मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, किसानों की कर्ज माफी, महिलाओं और बुजुर्गों की कुछ आर्थिक मदद देने सम्बन्धी जो वादे राजनीतिक दल करते हैं, उसे ही हमारे प्रधानमंत्री मुफ्त की रेवड़ियां कहते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा कर के लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के बजाय परजीवियों की एक जमात पैदा किया जा रहा है। उन्हें बिना कुछ किए मुफ्त के राशन (प्रति माह 5 किलो) दिया जा रहा है। पैसे दिए जा रहे है। कई तरह की सब्सिडी दी जा रही है, मुफ्त में बिजली, पानी देने के वादे किए जा रहे हैं, जो उचित नहीं है। ऐसे लोगों का मानना है कि विशिष्ट अपंगता या विकलांगता की स्थिति को छोड कर मुफ्त राशन देने की व्यवस्था बंद कर देनी चाहिए ताकि राष्ट्र निर्माण में उनकी सहभागिता बनी रहे। लोग आलसी न बनें, परिश्रमी बनें। हम इतिहास के पन्ने पलट कर देखें तो पता चलेगा कि एक सभ्य और सुखी जीवन जीने के लिए, शोषण और अत्याचार से मुक्ति पाने के लिए आम जनता ने राजतंत्र की जगह पूंजीवादी लोकतंत्र की स्थापना की थी। तब पूंजीवादी लोकतंत्र को जनता के लिए, जनता द्वारा, जनता का शासन कहा गया था। अब यह पूंजीवादी व्यवस्था खुद संकट में फंसे होने के कारण आम जनता की बुनियादी समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रही है। लोकतांत्रिक व्यवस्था की यह जिम्मेदारी होती है कि जनता को एक सामान्य और सुखी जीवन जीने के लिए तमाम मूलभूत सुविधाएं उन्हें उपलब्ध कराई जाए। ऐसी नागरिक सुविधाएं सभी को समान रूप से मिलनी चाहिए। फर्क टैक्स का होना चाहिये। ऐसी सुविधाओं के लिए अमीरों से ज्यादा टैक्स लिया जाए और गरीबों को टैक्स मुक्त कर दिया जाए। किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार को अपनी जनता के व्यापक हित में काम करने की जरूरत होती है। आधुनिक दौर में उच्च शिक्षा के लिए मोबाइल, लैपटाप, इंटरनेट छात्रों के लिए आवश्यक आवश्यकता बन गई है। आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को सरकार यदि ऐसे साधन निशुल्क उपलब्ध कराती है तो वह मुफ्त की रेबड़ी हर्गिज नहीं है। बिहार में बालिका साईकिल योजना ने तो बालिकाओं की शिक्षा में उल्लेखनीय बदलाव लाने का काम किया है। मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, बुजुर्गों के लिए रियायती यात्रा, किसानों को उर्वरकों एवं कृषि यंत्रों पर दी जाने वाली सब्सिडी भी मुफ्त की रेबडी नहीं है। सभी नागरिकों के लिए एक सामान्य, सुखी जीवन जीने हेतु भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, आवास के लिए जो भी किया जा रहा है वह मुफ्त की रेबडी नहीं, जनता का बुनियादी और लोकतांत्रिक अधिकार है। यह उसे मिलना ही चाहिए।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)