डॉ योगेन्द्र
भागलपुर (बिहार) से शुक्रवार से हिन्दू जागरण यात्रा निकाला जा रहा है और निकालने वाले और कोई नहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह हैं। सड़कों पर उनके बैनर लगे हैं, जिसमें वे त्रिशूल लिए हैं। कोई सोये हुए को जगाये तो किसे आपत्ति होगी? आपत्ति तो तब होगी न, जब जगे हुए को जबर्दस्ती सुला दें। वे केंद्रीय मंत्री हैं। संविधान की शपथ ली है। संविधान कम से कम धार्मिक समभाव तो मानता हीं है। क्या उन्होंने उस संविधान की शपथ ली है जिसे वे मानते नहीं हैं? या अगर मानते हैं तो वे गलत कदम उठा रहे हैं। उन्हें भारत जागरण यात्रा निकालनी चाहिए थी या इंसान जागरण यात्रा निकालना चाहिए था। लेकिन ऐसे लोगों से बहुत उम्मीद नहीं करनी चाहिए, जिसकी अनेक तस्वीरें बीस हजार करोड़ सृजन घोटाले की मालकिन मनोरमा देवी के साथ हैं। एकाध तस्वीर रहती तो संयोग होता, लेकिन अनेक तस्वीरों के मतलब तो होते हीं हैं। हो सकता है कि मनोरमा देवी से पारिवारिक संबंध हों। मगर मनोरमा देवी न उनकी जाति की थी, न कोई अंतर्जातीय संबंध थे, तो फिर ये तस्वीरें क्यों है? मनोरमा देवी कोई सार्वजनिक हस्ती भी नहीं थी, जो बार-बार मंच साझा करने के क्रम में तस्वीरें ली जाती रहें। हमारे देश की जांच एजेंसियां नाकारा ही नहीं हैं। कई बार लगता है कि वे बेमतलब है। सृजन घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है। कई वर्ष बीत गए, लेकिन रिपोर्ट नहीं है। वैसे ही मध्यप्रदेश के व्यापंम घोटाले का हुआ। गवाह मारे जाते रहे, लेकिन जांच पूरी नहीं हुई। इनके लिए समय निर्धारित नहीं होता। मनमाने और उत्तरदायित्वहीन ढंग से कार्य करती रहती है।
सृजन घोटाले में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह शामिल हैं या नहीं, इसकी जांच सीबीआई करती रहेगी। इतना भर है कि उनके संबंध घोटालेबाजों से रहे हैं। अब इसी भागलपुर से वे हिन्दू जागरण यात्रा निकाल रहे हैं। चलिए, कुछ तो कर रहे हैं। शायद इस जागरण में वे अपनी संपत्ति गरीब हिन्दुओं में बांट दें या वे हिन्दुओं के बीच ही समता का आंदोलन चलायें। जो अमीर हिन्दू है, उनसे संपत्ति लेकर भूखे नंगे हिन्दू में बांट दें या अपने सगे संबंधियों के बेटे बेटियों के संबंध दलितों के बेटे बेटियों से करें। जब तक सामाजिक और आर्थिक समता हिन्दुओं में नहीं होगी, तब तक जागरण कैसे होगा? मैं भी चाहता हूं कि हिन्दू जाग जाये। गरीब हिन्दू गिरिराज सिंह से पूछे कि कितने दलितों-पिछड़ों या निर्धन सवर्णों का कल्याण किया है? हिन्दू तो सचमुच सोया हुआ है। उसे जगाना जरूरी है। उसे उनके अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलानी है। गिरिराज सिंह जैसे लोग आयेंगे, जायेंगे, लेकिन आज हिन्दुओं का जगना बहुत जरूरी है। दरअसल यह हिन्दू जागरण यात्रा नहीं है। हिन्दू वोट यात्रा है। हिन्दुओं से जरा भी प्रेम होता तो जवानी से लेकर बुढ़ापे तक समता का आंदोलन चलाते।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जे पी आंदोलन की गर्भ से निकले हैं। गिरिराज सिंह की पार्टी के साथ गलबहियां कर रहे हैं। देखें, वे क्या करते हैं? कभी लालू प्रसाद ने लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया था। वैसा कुछ तो वे कर नहीं पायेंगे। न वे रोकेंगे, न टोकेंगे। जब पानी सिर पर से बहने लगेगा, तब शायद कुछ हिलें-डुलें। हिन्दी पट्टी में सांप्रदायिक जहर बहुत तेज गति से फैलता है। गद्दी बड़ी चीज होती है। राजाओं और सम्राटों के काल में अपने पिता, बेटे और बेटियों का कत्ल करवाते थे। लोकतंत्र में नया चस्का लग गया है। कोई हिन्दू को लेकर बैठा है तो कोई मुस्लिम को लेकर, लेकिन न मुस्लिम नेता ईमानदार हैं, न हिन्दू नेता। दोनों समता नहीं चाहते। दोनों सिर्फ बहकाना जानते हैं और अपना उल्लू सीधा करना जानते हैं।
(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)
डॉ योगेन्द्र