बाबा विजयेन्द्र
बाबा योगीनाथ अब राष्ट्र के नेता ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र के भी नेता हो गए हैं। बाबा योगी अभी-अभी महाराष्ट्र चुनाव में इंट्री मारे हैं। यहाँ योगीजी का पोस्टर सज गया है। ऐसा लग रहा है कि महाराष्ट्र का भी मुख्यमंत्री इन्हें ही बनना है? यहाँ बाबा के हाथ में कहीं कटार नजर आया तो कहीं तलवार नजर आयी। पर कहीं कोई विचार नजर नहीं आया। विचार के नाम पर जो आया वह है – अगर हम बटेंगे तो कटेंगें, एक रहेंगें तो नेक रहेंगें? कई दिनों से यह बयान मीडिया में तैर रहा है। भाजपा प्रवक्ता सब उछल-उछलकर योगी के बयान को सैद्धांतिक आधार प्रदान कर रहे हैं। बीजेपी, बखेड़ी जनता पार्टी हो चुकी है। दीनदयाल और वाजपेयी की विरासत कैसी हो गयी है? इनके बयानों के आधार पर सहज आकलन किया जा सकता है। वर्तमान भाजपा के लिए हिंदुत्व एक नशा ही है। इनकी एकता की कवायद एक शगल भर है। ये लोग बेहोशी में हिंदुत्व की व्याख्या किये जा रहे हैं। हिन्दू समाज, बंटा हुआ समाज तो है ही, अब और कितना बंटेगा? योगी जी का मतलब साफ़ है कि हिन्दू समाज में लाख भेदभाव हो, विसंगतियां हो, लेकिन एक रहना है।
भाई योगीजी आप ही बताओ कि सूतपूत और राजपूत एक कैसे होगा? चमार और भूमिहार के बीच कैसा रिश्ता होगा? एक होने की बुनियाद क्या होगी? कैसे आपस में एकात्म स्थापित होगा? विभाजन के गुनहगार कौन थे? यहाँ के दलित थे या पिछड़ा थे? मुगलों से नाता किसने जोड़ा ? दलितों ने या सवर्णों ने? यह धरती और धर्म किसके लिए सबसे प्रिय रहा है? बटेंगें और कटेंगें एक फेक नैरेटिव है। इसका कोई वजूद नहीं है। यह उत्तेजना पैदा कर सकता है। यह एक स्खलन है। यहाँ सृजन की संभावना नहीं है। इस बयान से आरा पटना सब हिला दीजिये पर आपसे जातीय जड़ता नहीं हिलने वाली है। योगीजी वह वातावरण दीजिये जिसमें शूद्र भी गर्व से कह सके, मैं हिन्दू हूँ? अगर ऐसा कुछ कर गए तो देश की अस्सी प्रतिशत समस्या का अंत हो जाएगा। बंटने और कटने की बात करना एक ठगी है। ठगी ही सही। पर योगी जी भाजपा का भविष्य बन चुके हैं। योगी जी अब धीरे-धीरे नहीं, तेज रफ़्तार में चल रहे हैं। बस फटा पोस्टर निकला यह हीरो। योगीजी महाराष्ट्र के चुनावी-स्क्रीन पर एक्शन हीरो की भूमिका में धमाल मचाने वाले हैं। बीजेपी ऑफिस को हिट फिल्म देने वाले नायक बाबा योगी अब नयी भूमिका में नजर आयेंगें। महाराष्ट्र में चुनाव हो रहा है। युति और अघारी गठबंधन के समूह दलों के बीच रूठने-मनाने का खेल चल रहा है। कोई त्याग कर रहा है तो कोई जहर पी रहा है। बस इन्हें केवल सत्ता की गारंटी चाहिए। महाराष्ट्र चुनाव में जो कुछ हो रहा है यह सब चुनावी-स्टंट भर है। यह सब खेल न हो तो राज्य और राजनीति के प्रति लोगों का आकर्षण ही समाप्त हो जाएगा। यह तो डांस ऑफ़ डेमोक्रेसी ही है। यह चलता रहेगा। यह सत्ता का श्रृंगार है। महाराष्ट्र में भाजपा अभी टंच है। एकदम फिटफाट है। यहाँ योगी फेक्टर फिर काम करने वाला है। हरियाणा चुनाव में भी योगी आदित्यनाथ बेस्ट फिनिशर की भूमिका में नजर आये थे। 68% का स्ट्राइक रेट से योगी आदित्यनाथ ने यहाँ बेटिंग की थी। बाबा यहाँ पास हो गए। बीजेपी भी पास हो गयी। अब डिमांड बढ़ गयी है बाबा की। योगी आदित्यनाथ अब पूरे राष्ट्र की चिंता करने वाले हैं। फिलहाल महाराष्ट्र की चिंता कर ले रहे हैं।
योगी जी महाराष्ट्र से लौटकर मथुरा आये हैं। यहाँ इन्हें भागवत ज्ञान मिला। संघ प्रमुख से मुलाकात हुई है। यह मुलाक़ात किसी तरह संभव हुई है। यह बदली हुई भाजपा कि बदली हुई परिस्थिति है। योगी जी गुजरात को लांघकर सीधे पहुँचने की तैयारी में थे और पहुँच भी गए। सीधे कंट्रोल नागपुई से। अब गुजरात के बंधुलोग क्या करें? संघ और भाजपा की तल्खियों से हम वाकिफ हैं। हरियाणा की जीत संघ की ही जीत है न कि भाजपा की। वर्तमान नेतृत्व इस मथुरा- मुलाकात की काट खोज रहे हैं। हमारी बिल्ली हमीं को म्यों म्यों ! फिलहाल योगी को पहले उपचुनाव देखना है। यहाँ से कुछ रास्ता निकलेगा। हिंदुत्व के नाम जो कुछ हो रहा है वह महाराष्ट्र और झारखण्ड के चुनाव तक चलेगा या आगे भी खिचायेगा यह अभी पता नहीं है।