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इन दिनों
घुसपैठिया आया, घुसपैठिया आया
दस वर्षों से केंद्र में बीजेपी की सरकार है, तब भी घुसपैठ हो रहे हैं तो यह असफलता किसकी, केंद्र सरकार को बताना चाहिए।
वचन जाये पर प्राण न जाई
अब प्राण बचाने हैं, चाहे जैसे भी हो। प्राण अगर संकट में नहीं है, तब भी वचन पर अड़ना नहीं है। वचन तो वचन है, आता जाता रहता है।
कश्मीर: सौंदर्य की लालसा
कश्मीर देश को सिर्फ सेब, अखरोट और खूबानियाँ ही नहीं बाँटता, वह अपना सौंदर्य बाँटता है। इसे धरती का जन्नत कहते हैं।
मुफ्तखोरी का इंजेक्शन ख़तरनाक है
हमें मुफ़्त में कुछ भी मिल जाता है, हम ले लेते हैं। हमें आदत जो हो गयी है मुफ्तखोरी की, जो बहुत ख़तरनाक है।
बदरूप व्यवस्था की बजबजाती बयानबाज़ी
नेताओं में जब से विचारों का अभाव हुआ है, तब से इस व्यवस्था में कुछ न कुछ उल्टे सीधे बयानबाज़ी कर वे आत्मतुष्ट होते हैं।
पैकेजिंग युग की उलटबांसी
पैकेजिंग युग में चमकते पेपर-पन्नियों में कोई भी खाद्य-अखाद्य परोस दें, लोग उसे खाने में गौरव महसूसते हैं।
मणिपुर के लोकटक झील में कमल
लोकटक झील कमल के फूलों से भरी है। इस झील से 45 गाँवों को रोज़गार मिला है। कमल के फूल और उसके तने से आधारित उद्योग खड़े किये गये हैं।
दामोदर, हुगली और गंगा
दामोदर जब शांत हो गई तो नदियों के मुहानों पर गाद जमा हो गया। नतीजा हुआ कि हुगली बंदरगाह गाद से भर गया।
कितने पाकिस्तान
आपके कंधों का दायित्व बहुत बड़ा है। इतिहास विभाजन कारियों को माफ नहीं करता। कमलेश्वर के ‘कितने पाकिस्तान‘ पढ़ लीजिए।
डोनाल्ड ट्रम्प और दुर्योधन
डोनाल्ड ट्रम्प के अंदर से कभी भी राजतंत्र का उदय हो सकता है। तब भी अमेरिकी लोग अभिमानी दुर्योधन जैसे डोनाल्ड ट्रम्प को चुना तो यह कम आश्चर्य की बात नहीं है।