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इन दिनों

वचन जाये पर प्राण न जाई

अब प्राण बचाने हैं, चाहे जैसे भी हो। प्राण अगर संकट में नहीं है, तब भी वचन पर अड़ना नहीं है। वचन तो वचन है, आता जाता रहता है।

कितने पाकिस्तान

आपके कंधों का दायित्व बहुत बड़ा है। इतिहास विभाजन कारियों को माफ नहीं करता। कमलेश्वर के ‘कितने पाकिस्तान‘ पढ़ लीजिए।

डोनाल्ड ट्रम्प और दुर्योधन

डोनाल्ड ट्रम्प के अंदर से कभी भी राजतंत्र का उदय हो सकता है। तब भी अमेरिकी लोग अभिमानी दुर्योधन जैसे डोनाल्ड ट्रम्प को चुना तो यह कम आश्चर्य की बात नहीं है।