Browsing Category
विशेष
नवम्बर क्रांति के बाद सोवियत संघ में हुआ था शिक्षा का सर्वव्यापीकरण
नवम्बर क्रांति के सफल होने के बाद सोवियत संघ में सरकार ने शिक्षा को सर्वोपरि प्राथमिकता, नि:शुल्क और अनिवार्य किया।
दीपावाली पर खुशियाँ ग्रीन पटाखे से ही मनायें और जीवन बचायें
दीपावाली पर खुशियाँ ग्रीन पटाखे से ही मनायें और जीवन बचायें क्योंकि साधारण पटाखों से निकलने वाली गैस हृदय हृदय रोग और कैंसर के मुख्य वजह है।
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस एवं समृद्धि का पर्व धनतेरस
आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि जी और समृद्धि के देवता भगवान कुबेर की कृपा सदैव भारत पर बनी रहे। सभी के जीवन में स्वास्थ्य और समृद्धि का वास हो।
बिहार को साम्प्रदायिकता की आग में झोंकने का कुत्सित प्रयास?
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा जो ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ शुरू की गयी थी उसके तेवर, मक़सद व नीयत सब कुछ विवादित था। यही वजह थी कि न केवल बीजेपी ने गिरिराज सिंह की इस यात्रा से ख़ुद को अलग रखा बल्कि बिहार में बीजेपी की सत्ता सहयोगी जनता…
दीपावली महोत्सव- आध्यात्मिकता की आज सख़्त ज़रूरत है: नाजिया हसन
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के लहेरियासराय सेवाकेंद्र के तत्वावधान में अलौकिक दीपावली महोत्सव धूमधाम से मनाया गया
समाज का ऐसे हुआ वर्ग विभाजन
समाज में गरीब-अमीर अनादि काल से रहे है और रहेंगे। ऐसा अक्सर लोग कहते है। इसके लिए तर्क दिया जाता है कि जब हाथ की पांचों उंगलियां बराबर नहीं है तो फिर समाज में सभी बराबर कैसे हो सकते हैं? अमीर-गरीब तो भगवान ने बनाया है। उनका यह तर्क न तो…
विजयादशमी पर बाबासाहेब क्यूँ नहीं याद आए?
14 अक्टूबर 1956 आज भी संघ को रह-रह कर भयभीत करता है। संघ आज इस तिथि पर मौन है। संघ नहीं चाहता है कि इस तिथि को कोई याद करे!
रावण दहन तो हो गया, लेकिन —–!
अगर हम वर्तमान परिवेश में शक्ति की पूजा को बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य की जीत और नारी-अस्मिता की रक्षा की दृष्टि से देखें तो जो स्थिति नजर आती है, वह बड़ी डरावनी है।
अब पूजा-पाठ भी बाजार की गिरफ्त में
शारदीय नव रात्र प्रारम्भ हो गया है। नौ दिनों तक शक्ति की देवी दुर्गा के नौ रूपों की अराधना होगी। शास्त्रों में दुर्गा के नौ रूप बताए गये हैं --- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, काल रात्रि, महागौरी और…
हाड़ मांस के एक पुतले की याद
गांधी के निंदक भी, खुद को गांधी से मुक्त नहीं कर पाते। इस व्यक्ति में ऐसा कुछ तो था ही, जिसे नाथूराम की गोली मार नहीं सकी।