मुख्यमंत्री के ठाट बाट और जनता

प्रगति यात्रा के तहत भागलपुर आ रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

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डॉ योगेन्द्र
खबरों में खबर यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज भागलपुर पधार रहे हैं। बाँस- बल्ले लग चुके हैं। सड़कों पर छिड़काव जारी है। नगर निगम के कर्मचारी झाड़ू लगा रहे हैं। टूटी हुई सड़कों पर चिप्पियाँ लगाई गई हैं। प्रशासन की गाड़ियाँ दौड़ रही है। मुख्यमंत्री के सांसद अजय मंडल अपने तरीके से शांति स्थापित करने में लगे हैं। पत्रकारों की पिटाई के बाद उन्हें नव ज्ञान हुआ है कि उन्होंने इस लिए पत्रकारों को मारा, क्योंकि वे हथियार छीन रहे थे। कल कुछ बोल रहे थे, आज कुछ और बोल रहे हैं। तथाकथित ईमानदार और सुशासन के मुख्यमंत्री के ऐसे ऐसे सांसद और विधायक हैं कि जनता उनसे दूर ही रहती है। पता नहीं किसे पीट दें और आरोप लगा दें कि इनकी मंशा छीनछोर की थी। पुलिस ने भी अपने कर्तव्य का पालन किया। जो ज्यादा ताकतवर था, उसके आवेदन को पहले स्वीकार किया और जो कमजोर था, उसने आवेदन भले एक दिन पहले दिया हो, लेकिन स्वीकार बाद में किया। लोकतंत्र आ जाने से मगरमच्छों का स्वभाव नहीं बदल जाते। लोकतंत्र में लोक दरिद्र हो गया है। प्रशासन ताकतवर की सुनता है। बीजेपी के स्थानीय नेता शाहनवाज हुसैन, जिला अध्यक्ष आदि ने शाकाहारी विरोध किया है। मगर इसका कोई मतलब नहीं है। कम से कम इन लोगों को सांसद पर कार्रवाई की तो मांग करनी चाहिए।
किसी को क्या कहा जाय? जो हालात हैं, उसमें कुछ भी संभव है। एक सर्वेक्षण के अनुसार दुनिया के पचास प्रतिशत युवा यह मानते हैं कि बदलाव के लिए हथियार उठाना सही है। युवाओं को लगता है कि पूंजीवाद दुनिया को बर्बाद कर रहा है। सत्तर प्रतिशत लोग यह मानते हैं कि सरकार और व्यापार पर अमीरों का कब्जा हो रहा है और वे इस बात से नाराज हैं कि अमीर और अमीर हो रहे हैं। वे यह भी मानते हैं कि अमीर उचित टैक्स नहीं देते और सरकारी अफसर और बिजनेस लीडर्स गलत जानकारी देते हैं। कई देशों में जो विद्रोह हुए हैं, इसका कारण नागरिकों की नाराजगी ही है। लोगों की नाराजगी के कारण अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी में सत्ताधारी पार्टियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। लेकिन सत्ता बदलने से नीतियां नहीं बदलती। बदली हुई सरकारों पर भी पूंजीपति हावी रहते हैं। अमेरिका में सरकार बदल गई, लेकिन एलन मस्क सरकार पर चढ़े हुए हैं। दुनिया में आम जनता कीड़े मकोड़ों की तरह है।
कल साथियों के साथ अंगिका भाषा के सम्मान के लिए सड़क के किनारे धरना पर बैठा था। दूसरी ओर डीएसपी का आवास है। वे गाड़ी लेकर आए और कहा कि मेरे आवास के सामने धरना पर क्यों बैठे हैं? यानी डीएसपी की ही सड़क है। यह है लोकतंत्र की हालत। आप सड़क पर भी सही मांग के लिए नहीं बैठ सकते। वे कह कर गये हैं कि कार्रवाई करूँगा। गजब। हम लोगों ने कहा जरूर कीजिए। अंगिका को केंद्र सरकार ने भाषा कोड नहीं दिया। एनसीआरटी ने अंगिका क्षेत्र को मैथिली का क्षेत्र बताया है। अंगिका अकादमी का कोई अध्यक्ष नहीं है। अंगिका करोड़ों की भाषा है। इसकी उपेक्षा के खिलाफ नहीं बैठ सकते, लेकिन हम सब भी कठोर पानी के बने हैं। अधिकार तो ले कर रहेंगे।

 

Nitish Kumar is coming to Bhagalpur
डॉ योगेन्द्र

 

(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं
जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)
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