वे सपने जो हो न सके कभी अपने

पूंजीवाद ने सपने तो बहुत दिखाए मगर एक भी सपना साकार नहीं हुआ

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ब्रह्मानंद ठाकुर
देश की जनता ने कभी आजादी का सपना देखा था। उस सपने में खुशहाली थी, अमन चैन था। आपसी सौहार्द और भाईचारे का भाव था। और थी, आजाद मुल्क की आजाद जनता के रूप में हर तरह के शोषण-उत्पीडन मुक्त जीवन जीने की चाह। बड़ी कुर्बानी और लम्बे संघर्ष के बाद हमारा मुल्क आजाद हुआ। आजाद मुल्क की अपनी सरकार बनी। अपना संविधान बना। अपने कायदे-कानून बने। यह सब तो हुआ, मगर देश की जनता ने आजादी को लेकर जो सपना देखे या उसके रहनुमाओं ने जो सपने दिखाए थे, वे आजतक पूरे नहीं हुए।
ग़रीबी और ज़हालत, साम्प्रदायिक विद्वेष, महिलाओं पर अत्याचार, शोषण-उत्पीड़न, भ्रष्टाचार, हत्या और बलात्कार खत्म होने के बजाय बढ़ता ही गया। देश के रहनुमाओं ने जो सपने दिखाए थे, वे दिवास्वप्न बन गये। नेता और पूंजीपति माला-माल होते रहे। मिहनतकश जनता कंगाल हो गई। यह कमाल है इस पूंजीवादी लोकतंत्र का। सपना टूटने का सवाल भी इसी पूंजीवादी व्यवस्था से घनिष्ठ रूप से जुड़ा है। हम आज आदर्श विहीन हो चुके हैं। दौलत और शोहरत हासिल करना जीवन का परम लक्ष्य बन चुका है। इतिहास गवाह है कि प्रत्येक युग में नये आदर्श ने ही मानव मुक्ति की राह दिखाने का काम किया है। राजतंत्र के खिलाफ कभी मानवतावादी विचारधारा ने राह दिखाई। पूंजीवाद ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास और एक राष्ट्रीय राजसत्ता की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सामंतवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी। तब यह आदर्श समाज की बेहतरी के लिए संघर्ष का एक कारगर हथियार था। फिर पूंजीपति वर्ग राजसत्ता पर काबिज हुआ। कुछ समय तक इसने समाज में प्रगतिशील भूमिका का निर्वाह किया। अपने ऐतिहासिक नियमों से बाद के दिनों में यह वर्ग शोषक की भूमिका में आ गया। आज वह शोषण को अवाध रूप से चालू रखने और पूंजीवाद विरोधी संघर्ष को ध्वस्त करने के औजार में तब्दील हो गया है। जाहिर है इस सर्वग्रासी पूंजीवाद के खिलाफ पूंजीवादी आदर्शों के सहारे लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती। इस पूंजीवाद ने शोषित पीड़ित आवाम को सपने तो बहुत दिखाए मगर एक भी सपना साकार नहीं हुआ। समाज की बेहतरी के सपने को यदि साकार करना है तो पूंजीवाद के अस्तित्व को पूरी तरह ध्वस्त कर समाजवादी समाज व्यवस्था स्थापित करनी होगी।

 

dreams that can never come true
ब्रह्मानंद ठाकुर
(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं
जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)
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