Browsing Tag

blog

बाढ़ में भंसते भक्त और भगवान

मंदिर भी डूब रहे, मस्जिद भी। बाढ़ किसी की नहीं सुन रही। वह अंधी, बहरी, गूँगी हो गयी है। लोग लाख मनाने की कोशिश करते हैं, वह मान ही नहीं रही है। हर दिन उसका रौद्र रूप डराता है जन मानस को।

समाज को आज जरूरत है एक अदद ‘सूरदास ‘की

किसी रचनाकार की कृतियों का सही मूल्यांकन उसके समय की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पृष्ठ भूमि को नजर अंदाज कर नहीं किया जा सकता। लेखक ने जिन राजनीतिक-सामाजिक परिस्थितियों में इस उपन्यास को लिखा है, वह देश के आजादी आंदोलन का दौर था।

सत्ता विरोधी लहर के साथ भीतरी कलह से भी जूझती भाजपा

भारतीय जनता पार्टी की ओर से पिछले दिनों चुनाव प्रचार के दौरान ही कई ऐसे संकेत मिले जो पार्टी नेताओं के मतभेदों को स्पष्ट रूप से उजागर करने वाले हैं

गोबर लपेसने के यज्ञ में बूढ़े

कोरोना देश में फैला था तो लोग दहशत में थे। आदमी-आदमी के पास नहीं जाना चाहता था। किसी को छींक हुई कि लोग भयभीत हो जाते थे। लगता था कि कोरोना दस्तक दे रहा है। ऐसे मौसम में बहुत से ज्ञानी जनम ले लेते हैं।

भाजपा: भगवती जागरण पार्टी !

राजनीति को पहले अपना धर्म निभाना चाहिए। जो काम मठ और मंदिर का है, साधु और महात्मा का है, वह काम सरकार न करे। अधार्मि-आचरण लेकर अधार्मिक-अभियान में शामिल होना अशोभनीय है, इसे कतई सराहा नहीं जा सकता है।

आओ, पार्टी-पार्टी खेलें

पूंजीवादी अर्थनीति के चरित्र से नावाकिफ रहने वाले इसे नहीं समझ पाएंगे, अर्थनीति व्यवस्था क्रांति से बदलती है चुनाव से नहीं..

आ, अब लौट चलें प्रकृति की गोद में

कुत्सित भाव हमें अपनी ममतामयी मां, प्रकृति की गोद से धीरे-धीरे दूर करता चला गया। हम भूल गये प्रकृति मां की लोड़ियां और थपकियां दे-दे कर हमें चैन की नींद सुलाना।

महान गुरु राधाकृष्ण सहाय की जयंती : स्मरण

उन्होंने ज्यादातर शैक्षणिक कार्य भागलपुर विश्वविद्यालय में ही किया। दो वर्ष शांतिनिकेतन में रहे और पांच वर्ष हुम्बोल्ट विश्वविद्यालय, जर्मनी में विजिटिंग प्रोफेसर रहे।

हमारी विनाश सामग्री हमारी ही जेब में ?

जब से मोबाईल फ़ोन प्रचलन में आया है तब से देश में ऐसे सैकड़ों हादसों की ख़बरें आईं जिनसे पता चला कि मोबाइल फ़ोन में ब्लॉस्ट हो गया। कभी उनकी बैटरी ओवर हीट होकर फट गयी तो कभी चार्जिंग में लगे सेलफ़ोन में विस्फ़ोट हो गया।