आज हम महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और सांस्कृतिक पतन की जिन समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिसका समाधान धर्म एवं धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से सम्भव नहीं है।
देश में आजादी आंदोलन चल रहा था। अपने नेता के आह्वान पर झुंड के झुंड युवक व युवतियां आंदोलन में शामिल हो रहे थे। अपने प्राणों की आहुति दे रहे थे। उनके दिलों में अपने नेताओं के प्रति बड़ा सम्मान भाव था। तब नेताओं में खुदगर्जी की कोई भावना…
एक ऐसी दुनिया, जहाँ लोगों की आवाज़ न केवल सुनी जाती है, बल्कि वह सीधे तौर पर इस बात को प्रभावित करती है कि संसाधनों का प्रबंधन कैसे हो, करों का आवंटन कैसे किया जाए, और सार्वजनिक सेवाओं का वितरण कैसे किया जाए।