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Swaraj Khabar

अब पूजा-पाठ भी बाजार की गिरफ्त में

शारदीय नव रात्र प्रारम्भ हो गया है। नौ दिनों तक शक्ति की देवी दुर्गा के नौ रूपों की अराधना होगी। शास्त्रों में दुर्गा के नौ रूप बताए गये हैं --- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, काल रात्रि, महागौरी और…

समाज को आज जरूरत है एक अदद ‘सूरदास ‘की

किसी रचनाकार की कृतियों का सही मूल्यांकन उसके समय की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पृष्ठ भूमि को नजर अंदाज कर नहीं किया जा सकता। लेखक ने जिन राजनीतिक-सामाजिक परिस्थितियों में इस उपन्यास को लिखा है, वह देश के आजादी आंदोलन का दौर था।

चर्चा है चर्बी की

नेताओं की चढ़ी चर्बी चिंता का विषय रही है। बहुत ही चर्बीदार हो रहे हैं लोग। चर्बी का अपना एक वर्गीय चरित्र है। यह चर्बी वर्गविहीन समाज की स्थापना में बहुत बड़ी बाधा है। इस बाधा को दूर करने की सदियों-सदियों से कवायद हो रही है पर यह सवाल सनातन…

अब नहीं आता गुलाब छड़ी बेचने वाला जोखन

सामने की सड़क पर दो-तीन छोटे बच्चे साइकिल से प्रतिस्पर्धात्मक दौड़ लगा रहे थे। उनमें एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ थी। वैसे भी मनुष्य का जीवन आजकल एक-दूसरे को पछाड़, आगे निकल जाने की होड़ को समर्पित हो चुका है। बच्चे क्यों अपवाद बनें?

महान गुरु राधाकृष्ण सहाय की जयंती : स्मरण

उन्होंने ज्यादातर शैक्षणिक कार्य भागलपुर विश्वविद्यालय में ही किया। दो वर्ष शांतिनिकेतन में रहे और पांच वर्ष हुम्बोल्ट विश्वविद्यालय, जर्मनी में विजिटिंग प्रोफेसर रहे।

परस्परावलंबित गांव ही कर पाएंगे वैश्वीकरण की चुनौतियों का सामना

भारत गांवों का देश है। यहां के रीति-रिवाज, परम्परा, उन्नत संस्कृति और आपसी भाईचारे की भावना गांव की पहचान रही है। वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में गांव की वह पहचान मिटने लगी है। आपसी रिश्तों में दरारें पड़ चुकी हैं।

कुर्सी केजरीवाल की ?

आदर्श और मर्यादा का दबाव बहुत बड़ा दबाव होता है। इससे निकलने का कोई रास्ता न दिखाए पड़े तो व्यक्ति हो या संस्थान हो, वह पाखंडी होने लगता है। यही स्थिति आज आम आदमी पार्टी की है।

पब्लिक पालिका: स्थानीय लोकतंत्र और आर्थिक सशक्तिकरण का नया युग

एक ऐसी दुनिया, जहाँ लोगों की आवाज़ न केवल सुनी जाती है, बल्कि वह सीधे तौर पर इस बात को प्रभावित करती है कि संसाधनों का प्रबंधन कैसे हो, करों का आवंटन कैसे किया जाए, और सार्वजनिक सेवाओं का वितरण कैसे किया जाए।

हमारी विनाश सामग्री हमारी ही जेब में ?

जब से मोबाईल फ़ोन प्रचलन में आया है तब से देश में ऐसे सैकड़ों हादसों की ख़बरें आईं जिनसे पता चला कि मोबाइल फ़ोन में ब्लॉस्ट हो गया। कभी उनकी बैटरी ओवर हीट होकर फट गयी तो कभी चार्जिंग में लगे सेलफ़ोन में विस्फ़ोट हो गया।